छतरपुर। सागर में एक जर्जर मकान की दीवाल गिरने के बाद प्रशासन द्वारा छतरपुर में भी जर्जर मकानों के मालिकों को नोटिस देकर उन्हें धरासायी करने के लिए निर्देश दिए जा रहे है। लेकिन बारिस के मौसम में ही नगरपालिका द्वारा मनमानी रकम वसूल कर मेलों को अनुमति दी गई है। इन मेलों में चल रहे खतरनाक झूलें हादसों को आमंत्रण दे रहे हैं। आखिर प्रश्र यह उठता है कि नगरपालिका ने भारी भरकम और खतरनाक झूलों को मेलों में लगाने की अनुमति कैसे दे दी। चर्चा है कि इसके बदले में नगरपालिका के जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों का लंबा फील गुड हुआ इसीलिए खतरनाक झूलों को अनुमति दे दी गई। बारिस के मौसम मेें यह भारी भरकम झूले खतरे से खाली नहीं हैं। बच्चों के झूलनें के दौरान बारिस के मौसम में कभी भी कोई हादसा होने की आशंका बनी रहती है। नगरपालिका द्वारा इस तरह के खतरनाक झूले लगाने की अनुमति देने से साफ जाहिर हो रहा है कि नगरपालिका को मुख्यमंत्री एवं जिला प्रशासन के आदेशों की कोई परवाह नहीं है। केवल कमाऊ नीति के चलते नियम कानून को दरकिनार किया जा रहा है। मेला संचालकों से जब इस संबंध में बात की गई तो उनका कहना है कि हमने यह खतरनाक झूले लगाने के लिए पैसे के दम पर अनुमति ली है। उनसे जब नगरपालिका की रशीद की बात की गई तो मेला संचालकों का कहना था कि सब सिस्टम में चल रहा है। नगरपालिका के अधिकारियों और कर्मचारियों का हित साधने के कारण उन्हें मेले मेंं झूले लगाने की अनुमति मिली है।
करंट फैलने की बनी रहती संभावना-
चूंकि मेले में आस्थाई रूप से बिजली के कनेक्सन लिए जाते हैं। जिससे बिजली के तार खुले पड़े रहते हैं इन तारों में जगह-जगह कट भी रहते हैं जिससे कभी भी बारिस के दौरान करंट फैल सकता है। लेकिन पैसे में इतनी दम है कि सब नियमों व सुरक्षा के मानकों को दरकिनार कर दिया जाता है।