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भगवान की शरण में पहुंचने से जीव माया मुक्त हो जाता है : डॉ पाराशर

 


 
छतरपुर। सिद्ध पीठ बागेश्वर धाम में रविवार से सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का संगीतमय वाचन किया जा रहा है। इस कथा महोत्सव के दूसरे दिन कथा व्यास अंतरराष्ट्रीय कथावाचक डॉ श्याम सुंदर पाराशर ने जीव को माया से सचेत रहने की कथा सुनाई। कथा व्यास ने कहा कि धन को धर्म में लगाने से जीव का कल्याण होता है। मनुष्य धर्म किए बिना धर्म का फल चाहता है लेकिन उसे पहले धर्म मार्ग पर चलना होगा तभी उसका कल्याण होगा।
बागेश्वर धाम में बालाजी सरकार श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य श्रोता है। कथाव्यास डॉ पाराशर बालाजी सरकार को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करा रहे हैं। कथा के दूसरे दिन उन्होंने शरणागति के छह सूत्र बताए। उन्होंने विशाल प्रांगण में उपस्थित कथा रसिकों से कहा कि जो भगवान के अनुकूल रहते हैं और ईश्वर पर दृढ़ विश्वास करते हैं, ईश्वर हमेशा उनकी मदद करते हैं। अपने आप को पूरी तरह से भगवान के चरणों में समर्पित करने वाले व्यक्ति का कल्याण कोई नहीं रोक पाता। कथा व्यास जी ने कथा का विस्तार करते हुए कहा कि जो जीवन का अंधकार मिटाकर शिष्य को ज्ञान के प्रकाश का दर्शन कराए वही गुरु है। जगत को ज्ञान का प्रकाश देने वाले कोई और नहीं सुखदेव जी है।
भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का संगम है श्रीमद् भागवत कथा
अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक डॉ श्याम सुंदर पाराशर जी ने बागेश्वर धाम में शुरू हुये श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के पहले दिन श्रीमद् भागवत के महत्व का बखान किया। उन्होंने कहा कि भक्ति, ज्ञान, वैराग्य का संगम ही श्रीमद भागवत महापुराण है। कथा व्यास ने कहा कि चूंकि यह भगवान की वाणी से प्रकट हुआ है इसलिए इसका नाम भागवत है। जीवन भर पाप करने वाले का भी उद्धार करने वाली श्रीमद् भागवत है।

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