छतरपुर: छतरपुर जिले के नौगांव में स्थित एक शराब डिस्टलरी स्थानीय लोगों के लिए गंभीर परेशानी का सबब बन गई है। डिस्टलरी से निकलने वाले अपशिष्ट और दूषित पानी के कारण फैल रही दुर्गंध और प्रदूषण ने आसपास के गांवों का जनजीवन मुहाल कर दिया है। इस मामले में जन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए नौगांव के अनुविभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीओपी) अमित मेश्राम ने सख्त रुख अख्तियार किया है।
विगत दो सप्ताह से क्षेत्र में शराब डिस्टलरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है।स्थानीय निवासियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने डिस्टलरी से निकलने वाले गंदे पानी और असहनीय बदबू की शिकायत करते हुए एसडीओपी अमित मेश्राम को ज्ञापन सौंपा था। शिकायतों के बाद, एसडीओपी मेश्राम ने स्वयं फैक्ट्री का निरीक्षण किया था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए और लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर, एसडीओपी अमित मेश्राम ने शराब फैक्ट्री के मालिक, जगदीश सेठ (अग्रवाल), को नोटिस जारी कर तलब किया है. उन्हें सोमवार को फैक्ट्री से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ अपने कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।
क्षेत्रीय निवासियों की पीड़ा
नौगांव और उसके आसपास के दर्जन भर से अधिक गांवों के लोग डिस्टलरी से होने वाले प्रदूषण से त्रस्त हैं. फैक्ट्री द्वारा छोड़े जा रहे रासायनिक युक्त पानी से न केवल भीषण दुर्गंध फैल रही है, बल्कि यह पानी किसानों के खेतों तक पहुंचकर उनकी फसलों को भी बर्बाद कर रहा है. इससे भूमि की उर्वरता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, सुबह और शाम के वक्त दुर्गंध इतनी तीव्र हो जाती है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है, जिससे सिरदर्द, आंखों में जलन और उल्टी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई और उच्च-स्तरीय जांच
एसडीओपी अमित मेश्राम की इस कार्रवाई को स्थानीय लोग एक बड़ी राहत के रूप में देख रहे हैं. उनकी छवि एक सख्त और ईमानदार अधिकारी की मानी जाती है, और लोगों को उम्मीद है कि इस मामले में ठोस कार्रवाई होगी. इस प्रकरण में एसडीएम और तहसीलदार सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी फैक्ट्री और प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब जिला कलेक्टर ने भी एक उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें तीन विभागों की संयुक्त टीम डिस्टलरी से होने वाले प्रदूषण और नियमों के उल्लंघन की पड़ताल करेगी।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों से होने वाले प्रदूषण और उसके स्थानीय समुदायों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के मुद्दे को उजागर किया है. अब सभी की निगाहें सोमवार को होने वाली पूछताछ और प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।

